भारती शर्मा

भारती शर्मा

भारती शर्मा एक स्वतंत्र पत्रकार और लेखिका हैं, जिनका झुकाव हमेशा से समाज, संस्कृति और पर्यावरण से जुड़ी कहानियों की ओर रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने विभिन्न स्थानीय समाचार पत्रों और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर काम किया।

भारती का मानना है कि खबरें सिर्फ़ सूचनाएँ नहीं होतीं, बल्कि लोगों की आवाज़ और समाज की धड़कन होती हैं। इसी सोच के साथ वह Hindu News Today के लिए लिखती हैं। उनकी लेखनी कला, प्रकृति, खेल और सामाजिक बदलावों पर केंद्रित रहती है।

उनकी शैली सीधी, संवेदनशील और पाठकों से जुड़ने वाली है। लेखों में वह अक्सर ज़मीनी अनुभवों, स्थानीय किस्सों और सांस्कृतिक संदर्भों को शामिल करती हैं, ताकि पाठकों को सिर्फ़ जानकारी ही नहीं बल्कि जुड़ाव भी महसूस हो।

एआई और टेक्नॉलॉजी: भारत के रोज़मर्रा की ज़िंदगी को बदलता नया दौर

अगर आप दिल्ली के किसी चायवाले के पास सुबह-सुबह खड़े हों, तो नोटिस करेंगे—उसके पास मोबाइल रखा है, QR कोड टंगा है, और ग्राहक नक़द कम, UPI ज़्यादा कर रहे हैं। पैसे तुरंत खाते में आ जाते हैं। चायवाले को…

भारत में इको-टूरिज़्म का भविष्य: हरे रास्तों पर चलती नई यात्रा

यात्रा हमेशा से मनुष्य की जिज्ञासा का हिस्सा रही है। कोई समुद्र की लहरों से सवाल करता है, कोई पहाड़ की चोटियों से, कोई जंगल की खामोशी से। लेकिन 21वीं सदी की यात्रा का नया चेहरा सामने आया है—इको-टूरिज़्म। और…

योग एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में: परंपरा और आधुनिकता का संगम

योग भारत की मिट्टी में उतना ही पुराना है जितनी किसी गाँव के पीपल की छाया। ऋग्वैदिक संकेतों से लेकर पतंजलि के सूत्रों तक, योग का मूल हमेशा भीतर की ओर रहा—श्वास, धैर्य, एकाग्रता, आत्मबोध। मगर इक्कीसवीं सदी ने खेलों…

भारत के छिपे हुए रत्न: अनदेखे भारत की राहें, जो दिल छू लें

भारत को पोस्टकार्ड से नहीं, पगडंडी से समझा जाता है। ट्रेन की खिड़की से गुजरते धान के खेत, ढोलक की दूर-दूर तक फैली थाप, बस कंडक्टर का “आगे चलो” और किसी ढाबे का उबलता चूल्हा—इन्हीं टुकड़ों से असली भारत बनता…

Cricket Beyond Borders: कैसे IPL ने बदला Global Sports का DNA

अगर तुम भारत में पले-बढ़े हो, तो क्रिकेट तुम्हारे लिए बस खेल नहीं है। यह चाय की तरह है — हर घर में, हर मौके पर मौजूद। लेकिन 2008 से पहले तक यह खेल अपनी ही लय में चल रहा…

पवित्र उपवन: जहाँ प्रकृति मिलती है अध्यात्म से

पेड़ों की छाँव में छुपा देवालय पहाड़ों की हल्की गंध, मिट्टी में नमी, और हवा में एक अजीब-सी मर्यादा—ऐसा अक्सर किसी मंदिर के गर्भगृह में महसूस होता है। लेकिन यह अनुभव मुझे पहली बार किसी शिलालेख वाले मंदिर में नहीं,…

वाराणसी की आध्यात्मिक पगडंडियों की खोज

कभी-कभी लगता है कि वाराणसी सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि समय की नदी में तैरता हुआ जीवित मिथक है। जिस क्षण आप कैंट स्टेशन से उतरते हैं और उस भीड़भाड़, शोरगुल, रिक्शों की आवाज़ों और मंदिर की घंटियों के बीच…

भारत में महिला एथलीटों का उदय: बाधाओं को तोड़ना

भारत में खेलों की दुनिया कभी मर्दाना मानी जाती थी। गाँव की चौपाल पर भी अगर कोई लड़की बैट या फुटबॉल लेकर निकलती, तो ताने मिलते — “ये लड़कों का खेल है।” लेकिन अब 2020 के दशक में तस्वीर बदल…

डिजिटल आर्ट: भारत के युवाओं के लिए एक नया युग

पहली बार मैंने किसी अंडरग्राउंड प्रदर्शनी में VR-हेडसेट पहना, तो सामने आया बनारस का घाट — लेकिन असली नहीं, पिक्सल का, धड़कता हुआ, ऑडियो में आरती . . . और उसी के बीच एक ग्लिच—नौका अचानक चौकोर बन गई। लोग…

भारत के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल मीडिया खपत की बढ़त: नई दुनिया की ओर गाँवों का सफ़र

भारत के गाँवों की सुबह कभी मुर्गे की बांग से शुरू होती थी और शामें ढोलक या चौपाल की गपशप से खत्म। लेकिन अब वही सुबह मोबाइल नोटिफिकेशन की टनटन से खुलती है, और शामें व्हाट्सएप स्टेटस या यूट्यूब वीडियो…